तहलका न्यूज ब्यूरो
इंदौर, 14 अप्रैल. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर उनके जन्मस्थान महू पहुंचे. पीएम ने यहां उन्हें श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी से साथ इस दौरान राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी थे.
इस मौके पर पीएम ने कहा कि वो भाग्यशाली हैं कि उन्हें उस जमीन पर आकर अंबेडकर को सलाम करने का मौका मिला, जहां उन्होंने जन्म लिया था. पीएम ने कहा, 'बाबा साहेब अंबेडकर एक व्यक्ति नहीं थे, वो एक संकल्प का नाम थे.' मोदी ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर समाज में अन्याय के खिलाफ लड़े. उन्होने कहा कि दूसरों के घरों पर काम करने वाली का बेटा होकर भी मैं प्रधानमन्त्री बन सका तो इसका पूरा श्रेय डॉ. अम्बेडकर को जाता है. प्रधानमन्त्री ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर नैतिकता के पर्याय थे. उन्होंने समाज में फैले अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई.
गांव के विकास के बिना देश का विकास नहीं
गांव की नींव मजबूत करनी होगी, तभी देश में विकास की इमारत खड़ी होगी. बड़े शहरों से देश का विकास नहीं होने वाला. इस साल का पूरा बजट हमारे किसानों और गांवों को समर्पित है. आज जिस गांव में बिजली आई है, वहां खुशी में नाच-गाने चल रहे हैं. ग्रामीण विद्युतीकरण की दिशा में किए गए प्रयासों को बहुत पारदर्शी रूप से किया गया. गर्व ऐप से गांवों में बिजली की जानकारी मिलेगी.
आजादी के दशकों बाद भी 18 हजार गांवों में बिजली नहीं
पीएम ने कहा कि 14 अप्रैल से 24 अप्रैल तक 'ग्राम उदय से भारत उदय' आंदोलन चलाया जाएगा. उन्होंने कहा, 'ये महान अफसोस की बात है कि आजादी के दशकों बाद भी हमारे देश के 18000 गांवों में विद्युतीकरण नहीं किया गया.' पीएम ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक विस्तृत रोड मैप तैयार करने के लिए शिवराज चौहान जी को बधाई देता हूं. छह दशकों से गरीब-गरीब करने वालों ने गरीबों के लिए क्या किया?
भाषण से पहले शिवराज ने बोला- भारत माता की जय शुरू
इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 'भारत माता की जय' बोलकर अपना भाषण शुरू किया. उन्होंने कहा कि एमपी में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों का पहली क्लास से पीएचडी तक का खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. इस दौरान पीएम मोदी ने राज्य के काम पर '10 साल बेमिसाल' किताब भी लॉन्च की.
2008 में हुआ था स्मारक का लोकार्पण
बता दें कि डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर की जन्मस्थली महू में स्थापित स्मारक में वर्ष 2007 से सामाजिक कुंभ की शुरुआत हुई थी. इस स्मारक का 14 अप्रैल, 2008 को लोकार्पण किया गया था. यह स्मारक मकराना के सफेद संगमरमर और मेंगलुरु के ग्रेनाइट से निर्मित है और इस स्मारक को देखने से बौद्ध धर्म के विश्व प्रसिद्ध सांची स्मारक की झलक मिलती है.