अमृतसर, 6 जून.खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ 1980 के दशक में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए आपरेशन ब्लूस्टार की 32वीं बरसी पर सोमवार को कड़े सुरक्षा इंतजामों के बावजूद यहां राज्य सरकार के विरोध में और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए गए। चप्पे-चप्पे पर पुलिस और एसजीपीसी कार्यबल की तैनाती के बावजूद नारेबाजी करने वाले उनकी पकड़ से बाहर रहे। ऑपरेशन ब्लूस्टार की 32वीं बरसी पर यहां हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में विशेष प्रार्थना अयोजित की गई, जो शांतिपूर्ण रही। हालांकि कट्टरपंथी सिखों के एक समूह ने खालिस्तान के समर्थन में और राज्य सरकार तथा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ नारेबाजी की, लेकिन इससे स्वर्णमंदिर परिसर के भीतर अकाल तख्त के समक्ष चल रही प्रार्थना में किसी प्रकार की बाधा नहीं पहुंची।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी), कार्यबल के सदस्यों और पुलिसकर्मियों की नजर अराजक तत्वों पर रही, जो ऑपरेशन ब्लूस्टार के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को बाधित करना चाहते थे। वे जगह-जगह सादे लिबास में तैनात थे।
अकाल तख्त के जत्थेदार (प्रमुख) गुरबचन सिंह ने सिख समुदाय के लिए अपना संबोधन पढ़ा।
एसजीपीसी के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की 32वीं बरसी पर आयोजित समारोह में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने समाज के सभी वर्गो से संयम बरतने और शांतिपूर्वक बरसी मनाने की अपील की। यह अपील सिख कट्टरपंथियों और उदारवादी धड़ों के बीच झड़प की आशंकाओं के मद्देनजर की गई।
पिछले करीब तीन-चार साल से बरसी के मौके पर कट्टरपंथियों द्वारा खालिस्तान समर्थक नारेबाजी होती रही है। पिछले दो वर्षो में कुछ झड़पें भी हुई।
पंजाब पुलिस ने बरसी से पहले एहतियातन कई कट्टरपंथी सिख नेताओं को हिरासत में ले लिया था।
उल्लेखनीय है कि जून 1984 में अलगाववादी सिख नेता जरनैल सिंह भिंडरवाले के नेतृत्व में स्वर्ण मंदिर के अंदर छिपे हथियारबंद चरमपंथियों को बाहर निकालने के लिए सेना ने ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया था, जिसमें सुरक्षाकर्मियों सहित कई अन्य लोगों की जान गई थी।