संजय द्विवेदी
सोनभद्र : मोदी सरकार आदिवासी समाज के पक्ष में नही है और आदिवासी समाज पर चौतरफा हमला बोल रही है। आदिवासी समाज के लिए आरक्षित दुद्धी और ओबरा सीट छीन ली। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा इन सीटों को आरक्षित करने के आदेश के बावजूद इस सरकार ने संसद में 4 जुलाई 2014 को ‘संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति प्रतिनिधित्व का पुनः समायोजन विधेयक (तीसरा) 2013‘ वापस लेकर आदिवासी समाज को राजनीतिक प्रतिनिधित्व से वंचित कर दिया। सरकार के इस आदिवासी विरोधी कदम के खिलाफ दुद्धी से लेकर दिल्ली तक संघर्ष होगा। यह ऐलान दुद्धी के गोड़वाना भवन में आयोजित बैठक में पूर्व विधायक व मंत्री विजय सिंह गोड ने किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को विकास की मुख्यधारा से काट दिया गया है।
आज भी यूपी का कालाहाड़ी सोनभद्र का आदिवासी क्षेत्र है जहां गांव में जाने को सड़क तक नहीं है, चुआड़, नालों और बांध से लोग पानी पीकर मरने के लिए अभिशप्त है। शिक्षा और इलाज तक की व्यवस्था नहीं है। इन हालातों से आदिवासी समाज को बचाने की कौन कहें मोदी जी की सरकार ने तो सत्ता में आते ही आदिवासियों व दलितों के विकास के लिए बजट में आवंटित होने वाली धनराशि में भी 32105 करोड़ रूपए की भारी कटौती कर दी। आदिवासियों के लिए 2014-15 में आंवटित 26714 करोड़ को घटाकर 2015-16 में 19980 करोड़ और 2016-17 में 23790 करोड़ रूपए कर दिया गया है। इसके साथ ही हमारे जीवन को जीने के लिए जरूरी मनरेगा, शिक्षा व स्वास्थ्य, छात्रवृत्ति के बजट में भी भारी कटौती की गयी है।
सम्मेलन में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने कहा कि मोदी जी की सरकार संविधान की रक्षा करने में विफल साबित हुई है। संविधान के उद्देश्य में ही कहा गया है कि सरकार भारत के हर नागरिक के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अधिकार की हर हाल में रक्षा करेगी। बाबजूद इसके उ0 प्र0 के दस लाख से भी ज्यादा आदिवासी समाज के लोकतांत्रिक अधिकारों पर यह सरकार हमला कर रही है। उन्होंने भाजपा और उसके वर्तमान सांसद से सवाल किया कि निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के बाद भी आदिवासियों की सीट क्यों इनकी सरकार ने छीन ली। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार वृक्षारोपण के लिए कैम्पा कानून बनाकर वनाधिकार कानून को खत्म करने में लगी है।
सम्मेलन में भारत निर्वाचन आयोग के दुद्धी व ओबरा विधानसभा सीट को आदिवासी समाज के लिए आरक्षित करने के आदेश को हर हाल में मोदी सरकार से लागू कराने, वनाधिकार कानून के तहत जमीन पर अधिकार लेने, कोल, धागंर समेत 7 अन्य जातियों को आदिवासी का दर्जा देने व गोड़, खरवार समेत आदिवासी का दर्जा पायी 10 जातियों को चंदौली समेत पूरे प्रदेश में आदिवासी का दर्जा देने और आबादी के अनुसार आदिवासियों को बजट में हिस्सा देने जैसे जीवन के लिए जरूरी सवालों पर आदिवासी अधिकार अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया। इस अभियान के लिए मंच का गठन किया गया।
सम्मेलन में 13 सितम्बर बभनी, 14 सितम्बर धोरावल, 15 सितम्बर दुद्धी, 16 सितम्बर नगंवा, 17 सितम्बर म्योरपुर, 18 ओबरा, 19 सितम्बर चतरा में आदिवासी अधिकार सम्मेलन करने और 20 सितम्बर को कलेक्ट्रेड राबर्ट्सगंज में प्रदर्शन करने का निर्णय हुआ। सम्मेलन में आदिवासी समाज के
अस्तित्व को बचाने की इस लड़ाई में आदिवासी हितैषी हर दल, संगठन और व्यक्ति से शामिल होने की अपील की गयी।
सम्मेलन को आशीष कुमार, रामायन गोड़, राजेन्द्र ओयमा, बबई मरकाम, रामाशंकर ओयमा, रामबरन पूर्व प्रधान, रामरूप, अरविन्द, बसंत प्रधान, सुरेन्द्र पाल, जमुना भाई, गुड्डू, अजंनी पटेल, संजय गोड़, शाबिर हुसैन आदि ने सम्बोधित किया। सम्मेलन में पूरे जिले से सैकड़ों की संख्या में आदिवासी प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
बतादे कि आज हो रहे गोंडवाना भवन में आदिवासियों की बैठक पर विभिन्न राजनितिक दलो की नजर थी। दुद्धी विधान सभा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है जहाँ आदिवासी मतदाताओ का योगदान विधान सभा चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाती है और आदिवासियों के मतो की करवटे जिस ओर बदलती है अब तक विधान सभा का शेहरा उसी के सर बंधी है आज हुए इस बैठक से तो एक बात साफ है कि आगामी विधान सभा चुनाव काफी दिलचस्प हो सकता है और राजनितिक समीकरण भी प्रभावित हो सकती है। जिसको लेकर आज दुद्धी विधान सभा की राजनितिक गलीयारा का पारा गर्म रहा।