तहलका न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि अस्थाई या कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे कर्मचारियों को भी नियमित कर्मचारियों के बराबर सैलरी मिलनी चाहिए। जस्टिस जेएस खेहर और एसए बोबदे ने ये फैसला सुनाया है। कोर्ट पंजाब के अस्थाई कर्मचारियों से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी जिन्होंने स्थाई कर्मचारियों के बराबर सैलरी पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'बराबर काम के लिए बराबर पैसे' को मानना होगा। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ये भी कहा कि कम पैसे देना दमनकारी है। इस फैसले से देशभर के लाखों अस्थाई कर्मचारियों को राहत मिलेगी।
कोर्ट ने कहा कि एक ही काम में लगाए गए लोगों को किसी दूसरे व्यक्ति से कम सैलरी नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने भारत के वेलफेयर स्टेट होने का तर्क भी दिया और कहा कि कम पैसे पर काम करवाना मानवीय गरिमा के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों के सिद्धांत को देखते हुए ये निर्णय लिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कम पैसे में इच्छा से काम नहीं करता, बल्कि खुद की प्रतिष्ठा दांव पर लगाकर इसलिए काम करता है ताकि अपने परिवार का पेट भर सके। क्योंकि वह जानता है कि अगर कम पैसे में काम स्वीकार नहीं किया तो उसकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी।