
कैंब्रिज एनालिटिका डाटा लीक के व्हिसल ब्लोअर क्रिस्टोफर वाइली के मुताबिक अभी तक लोगों को क्रिमिनल प्रोफाइलिंग के बारे में जानकारी है लेकिन अब फैशन प्रोफाइलिंग भी होने लगी है और खास बात यह है कि साल 2016 में अमेरिका में हुए राष्टपति चुनाव में फैशन प्रोफाइलिंग का बखूबी इस्तेमाल हुआ था। पिछले महीने नवंबर में द बिजनेस ऑफ फैशन के एक इवेंट में क्रिस्टोफर वाइली ने बताया कि कैंब्रिज एनालिटिका ने वोटर की प्रोफाइल का विश्लेषण किया और डाटा बेचा।
फैशन प्रोफाइलिंग के जरिए फेसबुक यूजर्स की टाइमलाइन को ट्रैक किया जाता है कि वह किस तरह के कपड़े पहनता है, कौन-सा गाना सुनता है और उसके पास कौन-सा स्मार्टफोन है। क्रिस्टोफर वाइली ने बताया कि लोगों के फैशन ब्रांड्स डाटा के जरिए अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों की सोच क्या है और वे किस पार्टी को पसंद कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए जिन लोगों के पास कार है और उनके इलाके की सड़कें अच्छी हैं तो वे मौजूदा राजनीतिक पार्टी को ही वोट देगे। ऐसे ही अलग-अलग लोग अलग-अलग व ब्रांड के कपड़े पहनते हैं और इससे उनकी राजनीतिक समझ भी जाहिर होती है। लोगों की फैशन प्रोफाइलिंग के लिए उनकी ऑनलाइन शॉपिंग साइट को भी ट्रैक किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि आप किसी ऐसे ब्रांड के प्रोडक्ट्स खरीद रहे हैं जो मौजूदा सरकार के साथ जुड़ा है तो इससे साफ है कि आप सरकार के साथ हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में ब्रिटिश पार्लियामेंट कमिटी की रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि फेसबुक कुछ खास कंपनियों के साथ अपने यूजर्स का डाटा शेयर करता है। कमिटी द्वारा दस्तावेजों से पता चला है कि फेसबुक एयरबेंब, लिफ्ट और नेटफ्लिक्स जैसी कंपनियों को अपने यूजर्स के डाटा को एक्सेस करने का अधिकार दिया है। ये सभी दस्तावेज साल 2012 से 2015 के बीच के हैं।
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